आठ माह की बच्ची के कटे होंठ की करायी सर्जरी
नोएडा, 3 नवंबर 2020। दनकौर ब्लाक के गांव सलेमपुर में फऱवरी में एक परिवार में बच्ची पैदा होने पर हुई खुशियों पर उस समय थोड़ी मायूसी छा गयी जब परिवार वालों ने देखा कि खूबसूरत नवजात का होंठ कटा (क्लेफ्ट लिप) हुआ है। गृह भ्रमण पर आयी आशा ने जब उस बच्ची को देखा तो उन्होंने परिवार वालों को समझाया कि यह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका इलाज न हो। परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि क्लेफ्ट लिप अब आपरेशन से ठीक हो जाता है। आशा कार्यकर्ता द्वारा दी गयी सलाह के आधार पर परिवार वालों ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम से संपर्क किया। जब परी (बच्ची का काल्पनिक नाम) आठ महीने की हुई तो आपरेशन से उसका होंठ ठीक कर दिया गया।
आरबीएसके की डीईआईसी (डिस्ट्रिक्ट अरली इंटरवेंशन सेंटर) मैंनेजर रचना वर्मा ने बताया परी जब नौ सितम्बर को आठ महीने की हुई तो उसका आपरेशन कराया गया। परी का आपरेशन दिल्ली के शालीमार बाग स्थित मैक्स हास्पिटल में हुआ। अब बच्ची का होंठ लगभग सामान्य स्थिति में है। रचना वर्मा ने बताया क्लेफ्ट लिप का आपरेशन सामाजिक संगठन स्माइल ट्रेन के सहयोग से कराया जाता है। उन्होंने बताया कि क्लेफ्ट लिप के मामले में जितनी जल्दी आपरेशन हो जाए उतना ही अच्छा रहता है। बस बच्चे का वजन और हीमोग्लोबिन ठीक होना चाहिए। आमतौर पर तीन माह के ऊपर होने पर ही बच्चे का आपरेशन कराया जाता है।
परी के माता-पिता ने जताया आभार
परी के माता-पिता ने आरबीएसके की टीम का आभार जताया। उन्होंने कहा कि जब परी पैदा हुई तो खुशी तो हुई पर उसका कटा होंठ देखकर हम निराश हो गये थे। लेकिन आरबीएसके की टीम ने परी का आपरेशन करवा दिया, अब सब ठीक है।
कटे होंठ से जुड़ी समस्याएं- दूध पिलाने में समस्या, बच्चा दूध नहीं पी सकता है। नाक के माध्यम से दूध के प्रवाह से छाती में बार-बार संक्रमण हो जाता है। वजन बढ़ने में कठिनाई। बोलने में कठिनाई। कान में बार-बार संक्रमण होना। दाँतों का न होना या अतिरिक्त दाँतों का होना, सामने के दाँतों का खराब विकास। टेढ़े दाँत और नाक के आकार में परिवर्तन की समस्या आ जाती है।
बच्चे के दिल का आपरेशन कराया
इसी तरह आरबीएसके माध्यम से दादरी ब्लाक के सूरजपुर गांव के चार साल के एक बच्चे को नई जिंदगी मिली। इस बच्चे को दिल की बीमारी थी, उसके दिल में छेद था। यह बच्चा जिला अस्पताल से रैफर किया गया था, अगस्त 2020 में उसके हार्ट की सर्जरी डीआईसी के सहयोग से दिल्ली के अपोलो अस्पताल में हुई।
जिले में हैं आरबीएसके की आठ टीम
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जिले में आठ टीम काम कर रही है, जोकि विभिन्न बीमारियों की स्क्रीनिंग कर बच्चों का इलाज करा रही हैं। कार्यक्रम के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, डाउन सिंड्रोम, कटा होंठ व तालु, टेढ़े मेढ़े पैर, डेवलपमेंट डिस्प्लेशिया ऑफ हिप, जन्मजात मोतियाबिंद, जन्मजात बहरापन, कंजेनाईंटल, हार्ट डिजीज, एनीमिया और विटामिन ए की कमी, रिकेट्स, अति कुपोषण, चर्म रोग व अन्य बीमारियों को चिन्हित कर उसका इलाज कराया जाता है।
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