चीफ इंजीनियर ने ली इंजीनियरों की बैठक, करें प्लानिंग
बिल्डरों ने लगाई अर्जी बाह्य शुल्क से कराये पानी निकास की व्यवस्था
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) में बाहय शुल्क की ६० करोड़ की धनराशि जमा है। बिल्डरों ने कॉलोनियों के बाहरी क्षेत्र को विकसित करने के लिए यह धनराशि तो दे दी,मगर एमडीए इस धनराशि को अन्य स्थानों पर खर्च कर देता है। इसी को लेकर बिल्डरों ने एक शिकायती पत्र देकर बाहय शुल्क की धनराशि से पानी निकासी के प्रबंध समेत कई और भी विकास कराने की मांग की है।
इसको लेकर मंगलवार को चीफ इंजीनियर दुर्गेश श्रीवास्तव ने भी इंजीनियरों की मीटिंग ली। कहा कि एनएच-58 पर स्थित कॉलोनियों के पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। बिल्डरों ने कॉलोनी में तो सीवर सिस्टम लगा रखे हैं, मगर पानी का निकास कहां किया जाए? इसका कोई सिस्टम एमडीए ने नहीं बनाया है।
इसी को लेकर एमडीए के इंजीनियरों ने तय किया कि मौके पर पहुंचकर इसकी प्लानिंग की जाए। इसके साथ ही जल निगम की टीम को भी अपने साथ रखा जाए। क्योंकि जलनिगम वर्तमान में शहर में सीवर लाइन दबा रहा है। यह सीवर लाइन अमृता योजना से दबाई जा रही है।
इस योजना से यदि सीवर लाइन के पानी की निकासी की व्यवस्था हो सकती है तो उस योजना का लाभ लिया जाएगा। फिर एमडीए बाहय शुल्क के जो 60 करोड़ रुपये है, उन्हें खर्च नहीं करेगा। इतनी बड़ी धनराशि बाहय शुल्क के रूप में एमडीए को मिल रही है, मगर फिर भी बिल्डरों की कॉलोनियों के बाहर कोई विकास नहीं किया जा रहा है।
इसी को लेकर बिल्डरों ने शिकायती पत्र दिया है। बिल्डर कमल ठाकुर ने तमाम बिल्डरों के हस्ताक्षर युक्त पत्र प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी को दिया। इस पत्र को लेकर ही चीफ इंजीनियर ने अधीनस्थ इंजीनियरों की मीटिंग की। बिल्डरों की कॉलोनी की सीवर लाइन का ज्वाइंट कर पानी निकासी की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं। मीटिंग में एक्सईएन अरुण कुमार व एई मित्रा भी मौजूद रहे।
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