Monday, 14 September 2020

स्वाधीनता का समस्त संघर्ष हिन्दी भाषा के माध्यम से बढा आगे



 हिन्दी दिवस के अवसर पर सीसीएसयू में ऑन लाइन वेब गोष्ठी का आयोजन 
 वरिष्ठ संवाददाता

मेरठ। हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी विभाग, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, द्वारा ऑन लाईन वेबगोष्ठी हिंदी की राष्ट्रीय स्वीकृति एवं नई शिक्षा नीति का आयोजन किया गया।वेब गोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एनके तनेजा ने की। वेब गोष्ठी के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति  प्रो देवी प्रसाद त्रिपाठी, विशिष्ठ वक्ता प्रो योगेन्द्र नाथ शर्मा अरूण पूर्व प्राचार्य रूडकी एवं सानिध्य विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति  प्रो. वाई विमला शामिल रहे। वेबगोष्ठी का संचालन प्रो.नवीन चन्द्र लोहनी संकायाध्यक्ष कला एवं अध्यक्ष हिंदी विभाग ने किया।  
  वेबगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एन के तनेजा  ने कहा कि हमारी संस्कृति में ज्ञान की देवी सरस्वती को प्रमाण, हिंदी भाषा ही नहीं भारत की आत्मा है। भारत में स्वाधीनता के पश्चात वर्तमान स्वरूप आया। स्वाधीनता संग्राम का समस्त संघर्ष हिंदी भाषा के माध्यम से आगे बढा। हिंदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण भाषा है परन्तु यह दुर्भाग्य है कि हिंदी को स्थान देर से मिला। वर्तमान नेतृत्व हिंदी का पक्षधर है। लोकतंत्र में भाषा का विशेष महत्व है। बहुसंख्यक के आधार पर निर्णय होता है। हिंदी में हिंदी को वैश्विक संदर्भ में उपयोगी बनाने के लिए अनुवाद पर जोर देने की बात की। यूपीएससी ने जब हिंदी को स्वीकार किया तब हिंदी की स्वीकार्यता स्वय सिद्ध हो जाती है।
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में हिंदी भाषा के उत्थान का मार्ग प्रशस्त होगा। किसी भाषा के अध्ययन का मानदण्ड उसके आयाम के आधार पर होता है। चीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जा रही है। हिंदी भाषा के लोक विविध क्षेत्रों में आगे आए हैं। वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा, क्षेत्रीय शिक्षा, मातृ भाषा में होनी चाहिए। तभी सभी लोगों को उसका लाभ मिलेगा।  
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि भारत की स्वीकार्य भाषा नीति में गाँधी जी ने हिंदुस्तानी का प्रस्ताव दिया था किंतु यह चली नहीं। नई शिक्षा नीति में हिंदी का वर्चस्व बढेगा। वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व हिंदी को सम्मान दिलाने हेतु प्रतिबद्ध है। अब कला एवं विज्ञान विषयों की गंभीरता में कोई अंतर नहीं है। अब बच्चे भी मनोवैज्ञानिक दृष्टि से मजबूत होंगे। भौतिकी, रसायन के साथ सामाजिक विषयों का अध्ययन किया जा सकेगा। भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र था। ईसा पूर्व के चार महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय तक्षशिला, नालंदा, वल्लभ, विक्रमशिला आदि थे। अध्ययन की व्यवस्था प्राचीन से नई.शिक्षा नीति संबद्ध होकर प्रचीन भारतीय गौरव की स्थापना होगा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा अरूण ने बताया कि छतीस वर्षों के अंतराल के पश्चात नई शिक्षा नीति 2020 ने मातृभाषा एवं क्षेत्रीय भाषओं के शिक्षा का आधार बनाया। भविष्य में यह एक युगांतकारी घटना साबित होगी। माननीय शिक्षा मंत्री  निशंक ने राजनीतिक निर्णय न लेकर राष्ट्रहित में निर्णय लिया। विज्ञापन से लेकर बाजार तक हिंदी ने अपनी जगह बनाई है। अब दूरदर्शन से लेकर फिल्मी दुनिया तक हिंदी का वर्चस्व बढा है। जब क्लासेस की बात न होकर मासेज  की बात होती है। तब हिंदी के माध्यम से बात होती है। जापान में 1902 से राजा महेन्द्र प्रताप के प्रयासों से हिंदी की पढाई शुरु हुई। भाषा के साथ यदि राष्ट्रीय चरित्र भी शामिल हो तो वह भाषा राष्ट्र भाषा बन जाती है।  अब दक्षिण के चारों भाषी प्रान्तों के लोगों में भी हिंदी की स्वीकार्यता बढी है। विदेशों में अब हिंदी भाषी भारतीय पर्वों को ब?ी प्रसन्नता और उत्साह से मनाने लगे हैं।कार्यक्रम में शामिल रहीं प्रति कुलपति प्रो वाई विमला ने कहा कि हिंदी दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष पुरूषोत्तम दास टंडन जी के जन्मदिवस पर किया जाता है। यह हिंदी और हिंदी भाषी लोगों के लिए गर्व का विषय है। हिंदी में खडी बोली भाषा का प्रयोग 1808 में प्रारम्भ हुआ। हिंदी विस्तृत भाषा है। इसके स्रोता एवं बोलने वाले बहुसंख्यक हैं। यह दुनिया के कई देशों में फैली हुई है। भावना की अभिव्यक्ति भाषा के माध्यम से होते हैं। हिंदी भाषा हमारे उत्थान का मार्ग प्रशस्त करेगी। हिंदी की राष्ट्रीय स्थिति पर चर्चा अनिवार्य है। यह दिवस हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 
 विभागाध्यक्ष प्रो? नवीन चन्द्र लोहनी ने कहा कि जब नई शिक्षा नीति आई तब 2 अगस्त को कुलपति जी के नेतृत्व में हिंदी विभाग ने बडे कार्यक्रम का आयोजन किया कि प्राथमिक शिक्षा को नई शिक्षा नीति के बल मिलेगा। संस्कृत की परंपरा और हिंदी की परंपरा का जुढाव है। इस कार्यक्रम से छात्रों और स्रोताओं को बल मिलेगा। हिंदी की राष्ट्रीय स्वीकृति इस रूप में होनी चाहिए कि सभी को लाभ मिले आज भारत सरकार की नीति इसमें लाभ दायक है।कार्यक्रम में डॉ एस के भारद्वाज, डॉ. असलम जमशेद पुरी, डॉ अजय विजय कौर, डॉ. मोनू सिंह, डॉ राजेश चैहान, डॉ असलम, विश्वविद्यालय के कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार, वित्त नियंत्रक सुशील कुमार गुप्ता, डॉ यज्ञेश कुमार, डॉ प्रवीन कटारिया, डॉ. अंजू, डॉ विद्यासागर, योगेन्द्र सिंह, मोहनी कुमार, ममता, अमित, अर्चना सिंह, आदि छात्र.छात्राएं उपस्थित रहे।
 



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