कोरोना ने किया ईद की मिठास को फीका
.अपील- एक दूसरे के घरों पर न भिजवाए ईद की सिवैया
.शनिवार या रविवार को नजर आ सकता है ईद का चांद
.लॉकडाउन के बीच आकर चले गए त्योहार, जयंती, उत्सव और दूसरे आयोजन
मेरठ से लियाकत मंसूर की रिपोर्ट

कोरोना की लड़ाई में जनता लॉकडाउन का पालन कर रही है। इस बीच कई त्योहार, जयंती, उत्सव और दूसरे आयोजन आए और चले गए। कहीं कोई एकत्रित नहीं हुआ। हनुमान जयंती हो या किसी विशेष आयोजन पर नमाज पढऩा हो, लोगों ने अपने घर में बैठकर परंपराओं का निर्वहन किया है। शब.ए.बारात, रमजानए गुड फ्राइडे, बैसाखी, ईस्टर के अलावा अंबेडकर, गुरु नानक देव और महावीर जयंती भी शामिल हैं। इस दौरान राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे बड़े पर्व आए। इससे पहले होली भी आयी, हालांकि उस वक्त लॉकडाउन नहीं लगा था, लेकिन पीएम मोदी की अपील पर लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के चलते वह पर्व भी सार्वजनिक तौर पर नहीं मनाया। सभी ने सरकार के निर्देशों का पालन किया और घरों के भीतर रहकर इन जयंती और त्योहारों को मनाया। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया।
ईद के दिन लॉकडाउन का किया जाए पालन
नायब शहर काजी जैनुरराशिद्दीन ने कहा कि शनिवार या रविवार को ईद का चांद नजर आ सकता है। यानि रविवार या सोमवार को ईद हो सकती हैघ् सामूहिक तौर पर ईद की नमाज नहीं हो सकती, इसलिए बेहतर है कि सूरज निकलने के बाद ईद की नमाज पढ़ ली जाए। उन्होंने अपील की कि ईद के दिन लॉकडाउन का पालन किया जाए। अपने घरों से बाहर न निकले। सिवैया भी एक दूसरे के घरों में भेजने से बचे, ताकि कोरोना को पूरी तरह से फैलने से रोका जा सके। गरीबों की मदद करे।
कानून का पालन करे, अगले साल फिर आएगी ईद
मनसबिया मस्जिद के इमाम मौलाना महजर आब्दी ने कहा कि ईद उल फितर यानि इस दिन खुशी के साथ फितरा अदा करना होता है। फितरा बदन की बीमारी को दूर भगाता है और माल की हिफाजत करता है। गरीबों की मदद करे। चूंकिए इस बार कोरोना वायरस फैल रहा है। हमको अपनी और दूसरे की हिफाजत करनी है। ईद के दिन सिवैया एक दूसरे के घर भेजने की परंपरा हैए इस बार ऐसा न करे। खुशी गम में बदल जाए तो गुनाह हमारे सिर होगा। कानून का पालन करे। ईद अगले साल भी आएगी।
अलविदा जुमा आजरू नमाज पढ़ी जाएगी घरों पर
रमजान माह का आखिरी अशरा चल रहा हैं। आखिरी अशरा इबादत का माना जाता है। यूं तो रमजान माह इबादत का हैए लेकिन आखिरी अशरे में शब.ए.कद्र की रात होने से इसकी फजीलत बढ़ जाती हैं। अलविदा जुमा भी इसी अशरे में आता है। इस बार अलविदा जुमा लॉकडाउन के बीच आया है। घर पर ही नमाज अदा करने का सिलसिला जारी है। जाहिर है कि अलविदा जुमा की नमाज भी घरों पर ही अदा होंगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि अलविदा जुमा होने के कारण कोई चहल पहल नहीं है। कोई तैयारियां नहीं है।
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