डेड फर्म से करोड़ों की जीएसटी चाेरी का खुलासा 

5 साल पुराने मामले में ट्रांसपोर्ट नगर थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर 

मेरठ। मेरठ में डेड हो चुकी फर्म से करोड़ों की जीएसटी चोरी का खेल सामने आया है। पिछले कई साल से इस फर्म को लेकर जांच की जा रही थी। राज्य कर अधिकारी प्रदीप कुमार की तरफ से ट्रांसपोर्ट नगर थाने में यह रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

16 जून, 2020 को जीएसटी  डिपार्मेंट में सरफेस ट्रेडर्स के नाम से एक फॉर्म रजिस्टर्ड हुई। फर्म के संचालक संतोष कुमार पुत्र अटरपाल की ओर से कृष्ण विहार ऋषि नगर बागपत रोड इसका पता दिखाया गया था। तत्कालीन सहायक आयुक्त राज्य कर खंड 2 शैलेंद्र कुमार के द्वारा फर्म को अप्रूव किया गया। प्रोपराइटर ने पोर्टल पर स्थाई पता विनोद नगर ईस्ट दिल्ली का दिखाया था।

पहली बार में ही लगाए हाई वैल्यू बिल

फर्म पंजीकृत होने के बाद संतोष कुमार ने जुलाई 2020 में इनवर्ड सप्लाई के लिए चार ई वे बिल हाई वैल्यू (409.36 लाख) प्राप्त करते हुए उस महीने के लिए रिटर्न GST-3B में कुल 411.39 लाख की बिक्री जीरो रेटेड हेड में घोषित की गई। इतना बड़ा अमाउंट सामने आने के बाद तत्कालीन राज्य कर उपयुक्त रेंज ए ने 23 सितंबर, 2020 को फर्म का निरीक्षण किया।

निरीक्षण में मिला केवल बोर्ड लटका हुआ

जीएसटी डिपार्मेंट की टीम ने मौके पर जाकर देखा तो वहां एक दुकान पर फर्म का केवल बोर्ड लगा था। मौके पर ऑफिस बंद मिला जिस पर ताला लगा था। टीम ने दुकान स्वामी महेंद्र सिंह को बुला लिया। उन्होंने बताया कि उनके बेटे तरुण ने किसी नितिन नाम के व्यक्ति को यह दुकान दी थी। आसपास के लोगों ने बताया कि 4 से 5 दिन पहले ही दुकान खुली है लेकिन यहां कोई आता जाता नहीं है।

जांच में नहीं मिला कोई भी कारोबार

जीएसटी की टीम ने काफी देर पड़ताल की लेकिन ऐसा कोई साक्षी नहीं मिला जिससे यह पता चले कि यहां कोई कारोबार होता है। जांच रिपोर्ट भेजी गई जिसमें जांच के समय सरफेस ट्रेडर्स के द्वारा कोई व्यापार किया जाना नहीं पाया गया।

जांच रिपोर्ट में फर्जीवाड़े का किया जिक्र

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि व्यापारी द्वारा कूट रचित कागजों के माध्यम से केवल ITC का रिफंड लेने के लिए उसे फर्म का पंजीकरण कराया गया था। 29 सितंबर, 2020 को तत्कालीन सहायक आयुक्त राज्य कर खंड 2 अजीत कुमार सिंह ने फर्म का पंजीकरण निरस्त कर दिया।


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