व्यवसायिक भूखडों के  निगम की नयी बिल्ड़िग अवैध बता कर निगम को लपेटा 

बिना नक्शा पास कराए खड़ी कर दी बिल्ड़िग , निगम के अधिकारी हतप्रभ 

 मेरठ।अभी तक आवास द्वारा रेजिडेंसल क्षेत्र को व्यवसायिक भू उपयोग शास्त्री नगर,  जाग्रति विहार व माधवपुरम के व्यापारियों की नींद उड़ी हुई । वही आवास विकास ने नयी सड़क स्थित निगम की नयी बिल्ड़िग को अवैध बना कर निगम के अधिकारियों की नींद उडा दी है। आवास ने पूरी बिल्ड़िग को ही अवैध बता दिया है। जब रविवार को मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने धरने पर बैठे व्यापारियों को नयी सड़क पर बनाने वाली दुकानों को ध्वस्त हुए काम्पलैस के व्यापरियों को दुकानों दिलाने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव कराने का भरोसा दिया था।



आवास विकास के अधीशासी अभियंता आफताब अहमद ने बताया परिषद की शास्त्री नगर योजना 7 हेतू वर्ष 1977में अधिग्रहित खसरों भूमि के सम्मलित खसरा संख्या 6041बीघा 18 बिसवा 176.48 एकड़ भूमि पर उत्तर प्रदेश आवास कार्यालय के मानचित्र स्वीकृत कराए बिना अन्य सर्व सर्व संबधित विभागों के अनुसार प्राप्त किए बिना जल निगम की सी एंड डी एस ईकाई द्वारा नवीन नगर निगम कार्यालय परिसर एवं अर्बन प्लानर नामक व्यवसायिक काम्पलैक्स व दुकानों का निर्माण पर 1 जुलाई 2025 नगर निगम के अधीशासी अभियंता निर्माण को पत्र भेजा गया था । लेकिन उसका जवाब अभी निगम की ओर से नहीं दिया गया है। पत्र में यह कहा गया था अगर कोई मानचित्र स्वीक‍ृत कराया है उसे कार्यालय में भेजने कष्ट करें। उन्होंने बताया 29 अगस्त  2025 फिर से निगम के अधीशासी अभियंता केा फिर से पत्र लिखा गया है। उसके बाद भी अभी तक कोई उत्तर नहीं है। उन्होंने बताया बिना मानचित्र के नक्शा पास बिना बिल्ड़िग का निर्माण नियमों के अनुसार पूरी अवैध है। 



 आवास विकास के अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार का कहना है । पूरा शास्त्री नगर आवासीय कालोनी में बसा  है।व्यापारियों की सुविधा के आवास ने जाग्रति विहार , शास्त्री नगरा के डी ब्लॉक ,पुराने के ब्लॉक व सैक्टर पांच में आवासीय दुकाने बनायी हुई है। लेकिन लोगों ने आवासीय भूखंडों का प्रयोग व्यवसायिक किया है। जो नियम विरूद्ध है। 

 क्या कहा था मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने 

  रविवार को मेयर हरिकांत अहलूवालिया ने मीडिया से बात करते हुए बताया था कि आवास विकास ने जिस काम्पलैक्स को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ध्वस्त कराया है। वहां के 22 व्यापारियाें को बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास करा कर उन्हें दुकाने दिलाई जाएगी। अब सवाल उठाता है। जिस बिल्डिंग को आवास विकास ने अवैध बता दिया उस पर मेयर साहब कैसे दुकाने दिलाएंगे। 

  इस बारे में मेयर हरिकांत अहूवालिया का कहना है उक्त जमीन नगर निगम की है। जिस स्थान पर बिल्ड‍़िग बनायी गयी है। उसका नक्शा लखनऊ से पास होकर आया है। कोई सरकारी निर्माण कार्य होता है तो उसको निर्माण करने वाली कार्यदायी संस्था शासन से नक्शा पास कराने के बाद भी निर्माण करती है। 

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