सुहेल की कांवड़ कांधे पर रख चौड़ा हो जाता है रवि का सीना
पिछली तीन पीढ़ियां लगी हैं इसी काम में, सुहेल चौथी पीढ़ी
काम में मजहबी दीवार कभी आड़े नहीं आई
हिंदू पक्ष भी देता है सुहेल की इस 'दस्तगिरि' को पूरा सम्मान
मेरठ। सुहेल यूनुस की कांवड़ जब तैयार होकर रवि के कांधों की शोभा बनती है तो सांप्रदायिक सौहार्द की लहरें उमड़ती दिखती हैं। सुहेल के इस काम में मजहब भी कभी आड़े नहीं आया। उधर हिंदू पक्ष ने भी सुहेल की इस दस्तगिरी को पूरा सम्मान दिया।
भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना शुरु होने में अब सिर्फ सप्ताह भर बाकी है। 11 जुलाई से सावन का महीना शुरु हो जाएगा। शिव भक्त कांवड़िए भगवान शिव का अभिषेक करने के लिए अभी से ही अपने घरों से निकल पड़े हैं। ऐसे में इन शिव भक्तों के लिए आकर्षक कांवड़ तैयार करने का सिलसिला शुरु हो चुका है। इस काम में न सिर्फ हिंदू बल्कि मुस्लिम भी पूरी अकीदत (श्रद्धा) के साथ लगे हुए हैं। गुजरी बाजार में एस के इवेंट्स फायर क्रैकर्स के नाम से डेकोरेशन का काम करने वाले सुहेल यूनुस अपनी चौथी पीढ़ी के रूप में कांवड़ बनाने के काम में मगन हैं।
सुहेल फिलहाल अपने 18 कारीगरों के साथ शिव भक्तों के लिए कांवड़ कर रहे हैं। वह 9 जुलाई को अपनी 35 लोगों की टीम के साथ हरिद्वार की लिए रवाना होंगे वहां पहुंचकर शिव भक्तों के लिए भोले बाबा के लंबे रथ रूपी बड़ी कांवड़ करेंगे। यह कांवड़ 12 फुट लंबी होती हैं। सुहेल वहां प्रति वर्ष इस इस तरह की 40 कांवड़ तैयार करते हैं। सुहेल की एक कांवड़ की कीमत कम से कम 10 हजार और अधिक से अधिक 70 हजार रुपए होती है। इसके अलावा सुहेल की टीम सिंगल कांवड़ से लेकर डाक कांवड़ तक तैयार करती है। उधर सुहेल की टीम कई बड़ी एवं आकर्षक कांवड़ डिमांड पर तैयार करती है।
सुहेल के साथ उनके भाई सिराज भी वर्षों से इसी काम में लगे हुए हैं। सुहेल के अनुसार मजहबी दीवार कभी भी उनके इस पुश्तैनी काम में आड़े नहीं आई। बकौल सुहेल हरिद्वार में तो शिव भक्त उन्हें पूरा सम्मान देते हैं। सावन का महीना शुरु होते ही हरिद्वार में सुहेल और उनकी पूरी टीम का इंतजार रहता है। वैसे तो सुहेल का काम शादियों में लाइट एंड डेकोरेशन का है, लेकिन कांवड़ के समय वह अपना पूरा समय कांवड़ तैयार करने के लिए आरक्षित रखते हैं। सुहेल के इस काम को कई हिंदू संगठनों ने सराहा है
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