दिल की बीमारी में न बरते लापरवाही - डा. अमित मलिक 

 हार्ट फेल और एरिथमिया के मरीजों के लिए मेरठ में शुरू की ओपीडी सेवा

मेरठ। शहर हार्ट फेल के मामलों को देखते हुए मैक्स हॉस्पिटल ने मेरठ में  हार्ट फेल और एरिथमिया की ओपीडी आरंभ की है। क्लीनक का मकसद  दिल से जुड़े मरीजों को एडवांस केयर मुहैया कराना और   इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जैसी हाईटेक तकनीक की मदद से कार्डियक एरिथमिया के जरिए समय पर रोग डिटेक्ट करना है। 

 मीडिया काे जानकारी देते हुए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफियोलॉजी के डायेक्टर एवं कॉर्डिनेटर डॉक्टर अमित मलिक और कार्डियक सर्जरी (सीटीवीएस) के हेड व सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर संदीप सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि  मैक्स मेड सेंटर में हर महीने के दूसरे और चौथे बुधवार व शुक्रवार को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक ओपीडी में उपलब्ध रहेंगे।मेरठ व आसपास के इलाके के लोगों के लिए ये ओपीडी काफी आरामदायक साबित होगी क्योंकि अब उन्हें प्राइमरी या फॉलोअप परामर्श के लिए दूसरे शहरों की यात्रा नहीं करनी पड़ेगी।

 डॉक्टर अमित मलिक ने कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के अहम रोल के बारे में कहा, ''इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में यह एडवांस तकनीक असामान्य दिल की धड़कन के बारे में बताने के लिए लिए हार्ट की विद्युत गतिविधि का मूल्यांकन करने के लिए जरूरी है। अनियमित लय दिल के सामान्य काम को बिगाड़ सकती है, और इससे हार्ट अटैक, हार्ट फेल और अचानक कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर बीमारी होने का रिस्क रहता है। हार्ट फेल और एरिथमिया के शुरुआती लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। समय पर रोग के पता चलने से जल्दी इलाज मिलना संभव रहता है, जिससे जान बचाई जा सकती है और मरीज के जीवन को बेहतर किया जा सकता है। 

हार्ट फेल के शुरुआती लक्षणों  में  सामान्य संकेतकों में सांस लेने में कठिनाई, वजन बढ़ना, तलवों और पैरों में सूजन, दिल की अनियमित धड़कन, पेट में गड़बड़ी, रात में सांस फूलना, चेतना की हानि, चक्कर आना और ज्यादा थकान शामिल है. हार्ट फेल तब होता है जब हार्ट पर्याप्त ब्लड पंप करने में असमर्थ होता है, जिससे थकान और सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं. इसके विपरीत, एरिथमिया या दिल की अनियमित धड़कन, हार्ट रेट या हार्ट रिदम से जुड़ी समस्या होती है, जिसमें दिल या तो बहुत तेजी से धड़कता है या बहुत धीरे-धीरे या अनियमित रूप से धड़कता है।

डॉक्टर संदीप सिंह ने बताया, ''कार्डियक सर्जरी में काफी बदलाव आ गए हैं, अब मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की जा रही हैं जिसमें सर्जरी के बाद बहुत ही छोटा और दर्द रहित पीरियड फेस करना पड़ता है। कैथेटर आधारित प्रक्रियाओं के जरिए हार्ट के वाल्व को ठीक कर लिया जाता है और वाल्व बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इससे जुड़े लक्षणों को इग्नोर करने से हार्ट का साइज बड़ा हो सकता है, सांस की समस्या हो सकती है और आखिरकार हार्ट फेल होने का खतरा रहता है।  

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