संयुक्त किसान मोर्चा में की बैठक से पहले 11 संगठनों ने किया किनारा
मेरठ। संयुक्त किसान मोर्चा में जबरदस्त फूट पड़ गई है। पांच राज्यों में हुए चुनाव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की पहली राष्ट्रीय बैठक दिल्ली में बुलाई गई थी। जिसमें सभी किसान संगठनों को बुलाया गया था। लेकिन चुनाव के बाद आयोजित मोर्चे की पहली बैठक से 11 संगठनों ने भाग लेने से साफ मना कर दिया। बताया जा रहा है कि बैठक में सभी 32 संगठनों को पहुंचने का संदेश भेजा था। उसमें से 18 संगठनों के नेता बैठक मे मौजूद रहे। तीन संगठनों ने फोन पर अपनी सहमति दे दी। वहीं पश्चिमी उप्र से भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बैठक में भाग लिया। सूत्रों की माने तो तीन से चार घंटा चली बैठक में जबरदस्त हंगामा हुआ। कई मुद्दों पर किसान नेता आपस में ही भिड़ते नजर आए। दिल्ली में बुलाई गई इस राष्ट्र स्तर की बैठक में लखीमपुर खीरी मे किसानों को कार से कुचलने के मामले में सरकारी गवाहों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत मिलने के बाद पीड़ित परिवारों और गवाहों की जान को खतरा बढ़ गया है लेकिन सरकार मूकदर्शक बनकर एक और लखीमपुर जैसी घटना का इंतजार कर रही है। केंद्र सरकार ने बेशक तीन कृषि कानून वापस ले लिए पर अन्य सभी वादों से सरकार पीछे हटती नजर आ रही है। मामला बेशक एमएसपी का हो या फिर किसानों की कर्जमाफी का, सरकार सभी वादों से मुकरती नजर आ रही है। किसानों पर दिल्ली और दिल्ली की सीमाओं पर दर्ज मुकदमे भी वापस नहीं लिए जा रहे। खराब मौसम के चलते बर्बाद हुई नरमे की फसल का मुआवजा नहीं दिया जा रहा। गन्ने की फसल मे किये गए 35 रुपये प्रति क्विंटल के इजाफे की रकम किसानों को अब तक नहीं मिल सकी। इस मीटिंग में बीबीएमबी का मामला भी उठाया गया। एसकेएम की बैठक में यह तमाम मुद्दे एजेंडे पर रखे गए।
वहीं किसान एकता मंच के कोर्डिनेटर नवीन प्रधान ने बताया कि किसानों के सभी संगठनों को एकजुट होकर रहना चाहिए। इस तरह की फूट किसानों की एकता के लिए घातक है। अगर कुछ आपसी मतभेद हैं तो इनको बैठकर बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए।
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