संस्कार भारती की परशुराम इकाई ने करवा चौथ पर कराया कवि सम्मेलन सरधना से साजिद कुरैशी की रिपोर्ट सरधना (मेरठ) संस्कार भारती सरधना की परशुराम इकाई के द्वारा करवा चौथ त्यौहार पर देवी मंदिर के प्रांगण स्थित हॉल में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न ख्याति प्राप्त कवियों व कवित्रीयों ने अपनी काव्य मणियाँ बिखेरी। कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्कार भारती सरधना के अध्यक्ष उमेश पंडित ने संस्था के संरक्षक दीपक शर्मा सूर्यदेव त्यागी, करनपाल गोस्वामी, संजीव पवार, सुभाष सभासद, लोकेश जैन, पूर्व प्रधान अशोक कुमार, मुनेश त्यागी, मनमोहन त्यागी, सिद्धार्थ त्यागी, मुकेश गोयल, आदि ने कवियों का माल्यार्पण और शाल ओढा कर उन्हें सम्मानित किया । कार्यक्रम का संचालन संस्था के संरक्षक शिक्षक दीपक शर्मा ने किया । इसके पश्चात प्रारंभ हुए कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम कवि सुदेश दिव्य ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा
""शब्द हूं मैं अगर उसका तुम अर्थ हो, मेरे जीवन की तुम ही तो सामर्थ हो। बिन तुम्हारे तो मैं शून्य जैसा हुआ । लौट आओ प्रिय ना समय व्यर्थ हो।
कवित्री रचना बानिया ने खूब तालियां बटोरी उन्होंने कहा ""भाव नीचे जब किये, भाव ऊंचे चढ़ गए,, नस बंदिया जितनी हुई, बच्चे भी उतने बढ़ गए,,
चौपट जी के नाम से मशहूर विख्यात कवि बंशीधर चौपट ने अपनी भावना इन शब्दों में व्यक्त की
""वक्त के हाथों का निवाला है जिंदगी तुलसी है कभी सूर निराला है जिंदगी श्वासों के तार तार ने हंस कर के यों कहा मीरा के मधुर प्रेम का प्याला है जिंदगी
रिश्तो को जी टूटने मत दीजिए, अपनों को भी रूठने मत दीजिए, टूट गये तो गांठ पड़ ही जाएगी, हाथों से हाथ छूटने मत दीजिए,,
कवि संजीव त्यागी ने देशभक्ति की भावना बढ़ते हुए कविता सुनाई ""सरहद का दीवानापन हो उसको सैनिक कहते हैं, जो शत्रु की छाती को चीरे उसको सैनिक कहते हैं, देश प्रेम की बहती ज्वाला और तिरंगे की खातिर, जो मृत्यु का आलिंगन करता उसको सैनिक कहते हैं "" और कभी विनेश को सीखने बदलते वक्त के ऊपर एक कविता पढ़ी
""एक दिन दादाजी ने मुझसे कहा, बेटा पहले जैसा कुछ भी तो नहीं रहा । मेरठ एवं आसपास के जिलों से पधारे इन कवियों के अतिरिक्त राम अवतार त्यागी एवं संजय जैन ने भी काव्य पाठ कर तालियां बटोरी सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।
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