लगातर चारे में राप खाने से पशुओं में बिगढने लगी प्रजजन क्षमता
मेरठ । भैसं या गाय से अधिक दूध प्राप्त करने के लिये डेरी संचालकों व पशुपालकों ने नायाब तरीका निकाल लिया। पशुपालकों ने अपनी गाय और भैंसों को हरी चरी के बजाय बीयर का मलबा यानी राप बीयर बनाने की प्रक्रिया के बाद बचा अपशिष्ट खिलाना शुरू कर दिया है। इसके बाद गाय और भैंस 3 से 4 लीटर यानी दोगुना से अधिक दूध देने लगी है। पशुओं के बीयर का मलबा खाने से उनकी प्रजजन क्षमता पर प्रभाव पड रहा है। पशुओं को राप खिलाना हानिकारक हो सकता है या नहीं, इस पर अभी कोई शोध नहीं हुआ है।
बता दें शहर ८५० से अधिक छोटी बडी डेरियां है। जिससे उपभोक्ताओं द्वारा दूध लिया जा रहा है। डेरी संचालक पहले से दूध की क्षमता बढाने के लिये गाय व भैस में इंजेक्शन का प्रयोग कर रहे है। सरकार द्वारा उक्त इंजेक्शन का प्रतिबंधित किये जाने के बाद डेरी संचालकों ने इसाका तोड निकाल लिया है। पशुओ की दूध की क्षमता बढाने के लिये उन्होने बीयर फैक्ट्री से बीयर बनने के बाद बचे मलबा यानी राप का प्रयोग करना आरंभ कर दिया है। हापुड रोड पर शाम होते हुए दर्जन भर ट्रक राप से भरे हुए खडे हो जाते है। वहां से पूरे शहर के दुकानदारों को सप्ताई किया जाता है। उक्त राप पंजाब, यूपी की चीनी मिल से आती है। जहां पर जौ से बीयर बनायी जाती है।
डेयरी संचालक नरेश सैनी का कहना है कि अपने अनुभव के आधार पर कहा कि अपनी डेयरी फार्म पर राप खिलाने वाले किसानों से बिल्कुल भी दूध नहीं ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूध की गुणवत्ता की कमी के साथ उसमें बदबू आना साफ दर्शाता है कि किसान राप खिला रहा है। दूध दूसरे दिन बदबू करने लगता है। फैट कम बैठता है। मलाई भी नहीं देता है। मैंने पिछले दिनों 10 लीटर दूध देने वाली दो भैंसें खरीदी हैं। घर लाने पर वह मात्र 5.6 लीटर दूध देने लगी। जिन्होंने बेचा था, उनसे पूछा तो उसने राप खिलाना कबूल किया।
पशु की प्रजनन क्षमता भी बिगड़ती है
लगातार पशुओं को राप देने से उसके शरीर पर प्रभाव पडता है। पशु चिकित्सक डा वीपी सिंह ने बताया राप के खिलाने से कई बार पशु की प्रजनन क्षमता बिगड़ती है। राप के खिलाने से पशु का शरीर दुबला हो जाता है।
यह होती है राप
जो बीयर जौ से बनाई जाती है। उसमें से करीब 30 फीसद मलबा बच जाता है. जिसका ज्यादातर हिस्सा पानी के रूप में होता है। इस पानी को किसी भी चारे में मिलाकर गाय और भैंसों को खिला दिया जाता है।
No comments:
Post a Comment